मार्जिन ट्रेडिंग क्या है: EXEX पर परिभाषा और नियम
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मार्जिन ट्रेडिंग एक ऐसा ट्रेडिंग विकल्प है जो ट्रेडर को उसके पास जितने पैसे हैं, उससे अधिक की ट्रेडिंग करना संभव बनाता है। मार्जिन ट्रेडिंग के अपने फायदे और जोखिम हैं। Exex.com ब्लॉग पर इस प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में और जानकारी ली जा सकती है।
ट्रेडिंग में मार्जिन क्या होता है?
ट्रेडर अपने और उधार के पैसों से स्टॉक और क्रिप्टोकरेंसी मार्केटों में ट्रेडिंग कर सकते हैं। सभी ट्रेडर्स के पास बहुत पैसा नहीं होता, इसलिए ये कर्ज के लिए दूसरे मार्केट भागीदारों की ओर रुख करते हैं। ट्रेडर्स को कर्ज मिल जाने से वे ट्रेडिंग कर पाते हैं और इस तरह की ट्रेडिंग को मार्जिन ट्रेडिंग कहा जाता है।
मार्जिन ट्रेडिंग मार्जिन से जुड़ी है। ट्रेडिंग में मार्जिन क्या होता है? क्लासिक परिभाषा में, मार्जिन किसी चीज की खरीद और बिक्री की कीमतों के बीच का अंतर है।
स्टॉक और करेंसी मार्केटों में मार्जिन का मतलब होता है ट्रेडर के खाते में एक निश्चित राशि के लेनदेन के लिए जमा या ब्लॉक। यही कहने का एक और तरीका है एक्सचेंज में सौदा खोलते समय ब्रोकर द्वारा ट्रेडर के खाते में ब्लॉक किया गया एक डिपॉजिट। मार्जिन को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है, जो दर्शाता है कि किसी पोजीशन को खोलने के लिए कितना पैसा जमा किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, 20% मार्जिन आवश्यकता कहती है कि यदि आपके खाते में इसकी कीमत का पांचवां हिस्सा है तो आप किसी संपत्ति में ट्रेडिंग ओपन कर सकते हैं।
मार्जिन 2 प्रकार के होते हैं:
- प्रारंभिक (सिक्योरिटी तक पहुंचने के लिए संपत्ति के ओरिजिनल रेट के हिसाब से होता है)।
- न्यूनतम (परिसंपत्ति की कुल कीमत के हिसाब से रखा जाता है, जिसके बाद ब्रोकर मार्केट रेट पर पोजीशन को जबरन बंद कर देता है)।
मार्जिन ट्रेडिंग ऐसी ट्रेडिंग है जो नकद पैसों की जगह उधार के पैसे इस्तेमाल करती है। इसकी एक परिभाषा यह भी है - एक्सचेंजों पर ऐसी ट्रेडिंग जिसमें ट्रेडर संपत्ति और सिक्योरिटी से ऑपरेट कर सकते हैं, भले ही उनके पास खरीद के लिए नकद पैसा न हो।
मार्जिन ट्रेडिंग को परिभाषित करने में यह माना गया है कि पाठक को यह पता है कि शॉर्ट और मीडियम टर्म के मार्केट में क्या होता है।
मार्जिन पर खरीदारी
मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है? एक मायने में, मार्जिन ट्रेडिंग एक ट्रेडर और एक ब्रोकर के बीच की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक ट्रेडर अपने पैसों से जितना स्टॉक या संपत्ति खरीद सकता है उसकी तुलना में बहुत अधिक मात्रा में खरीदी कर सकता है। इसे ही लेवेरेज के साथ ट्रेडिंग करना कहा जाता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
मान लीजिए किसी ट्रेडर के पास 10 स्टॉक खरीदने के लिए पूंजी है। यदि ब्रोकर 1 पर 2 की लेवेरेज देता है तो ट्रेडर 20 शेयर खरीद सकता है। यदि ब्रोकर 1 पर 10 लेवेरेज दे देता है तो ट्रेडर कंपनी के 100 शेयर खरीद सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में भी मार्जिन ट्रेडिंग संभव है। क्रिप्टोकरेंसी मार्जिन ट्रेडिंग मूल रूप से शेयर जैसी मार्जिन ट्रेडिंग ही है, बस इसमें एक्सचेंजों पर क्रिप्टोकरेंसी खरीदी और बेची जाती है। खरीदने और बेचने में ट्रेडर का उद्देश्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना होता है। ऑर्डर की मात्रा बढ़ाने के लिए ट्रेडर को एक्सचेंज से लोन मिलता है। यदि कोई ट्रेडर मार्जिन ट्रेडिंग के मूल सिद्धान्त समझना चाहता है तो उसे basics of market trading, an introduction to fundamental and technical analysis principles पढ़ना चाहिए।
यदि ट्रेडर मार्जिन ट्रेडिंग करते हैं तो क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर ऐसी कई पोजीशन खोल सकते हैं:
- लॉन्ग (long), जब ट्रेडर को क्रिप्टोकरंसी के बढ़ने की उम्मीद होती है;
- शॉर्ट (short), जब ट्रेडर क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में गिरावट का इंतज़ार कर रहा हो।
मार्जिन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान
मार्जिन ट्रेडिंग का फ़ायदा यह है कि ट्रेडर ऐसे मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं जहां आम तौर पर बड़ी प्रारंभिक पूंजी होने पर ही एंट्री मिलती है। उदाहरण के लिए, विदेशी करेंसी के एक लॉट की कीमत सैकड़ों हजारों डॉलर या यूरो हो सकती है। लेकिन लेवरेज से एक ट्रेडर अपना छोटा डिपॉज़िट होने के बाद भी इस तक पहुँच पा सकता है।
ट्रेडर संपत्ति के मूल्य में बढ़त और कमी पर भी अनुमान लगा सकते हैं और एक शॉर्ट पोजीशन खोल सकते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग से काफी मुनाफा कमाया जा सकता है।
मार्जिन ट्रेडिंग के जरिए ट्रेडर ज़्यादा तेज़ी से कोई पोजीशन खोल सकते हैं और उन्हें बड़ी मात्रा में पैसा नहीं लगाना पड़ता है।
हाँ, मार्जिन ट्रेडिंग के नुकसान भी हैं। मार्जिन ट्रेडिंग का मुख्य नुकसान है बड़ा घाटा होने का जोखिम। ऐसा भी हो सकता है कि अकाउंट का पूरा पैसा घाटे में चला जाए। ऐसे मामले में ट्रेडर पर ब्रोकर की देनदारी आ जाती है।
इसलिए, ऐसे नौसिखिए ट्रेडर्स को जो स्टॉक या क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में ट्रेडिंग लेनदेन की जटिलताओं को सीखना अभी शुरू ही कर रहे हैं, मार्जिन ट्रेडिंग नहीं करने की सलाह दी जाती है, ।
मार्जिन ट्रेडिंग के उदाहरण
यहाँ मार्केट पर इस तरह की ट्रेडिंग का एक उदाहरण देखते हैं। मान लीजिए कि एक ट्रेडर मार्केट स्टडी करने के बाद ऐसा अनुमान लगाता है कि यूरो बढ़ेगा और यूरो/डॉलर पेयर खरीद लेता है। पेयर खरीदने के लिए उसे एक लाख डॉलर चाहिए। ट्रेडर लेवेरेज के लिए एप्लाई करता है। एक सौ डॉलर के शुरुआती डिपॉज़िट से बहुत बड़ी खरीद करने के लिए उसे 1 पर 1000 तक के लेवरेज की जरूरत होती है।
यदि ट्रेडर का विश्लेषण सही है और उसका पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 1 पर 1000 लेवरेज लगाने पर उसका फाइनल प्रॉफ़िट बहुत ज़्यादा होगा।
मार्जिन फ़ाइनेंसिंग
जैसा कि पहले बताया गया है, मार्जिन पर ट्रेडिंग करते समय बड़े घाटे का जोखिम होता है। ऐसे निवेशक जो इस तरह के भारी जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं उनके लिए लेवरेज्ड ट्रेडिंग से पैसा कमाने का एक और तरीका है। उन्हें मार्जिन फाइनेंसिंग इस्तेमाल करने कहा जाता है। इसका अर्थ है किसी दूसरे ट्रेडर के मार्जिन ट्रेड को फाइनेंस करने की क्षमता।
मार्जिन फाइनेंसिंग एक निश्चित समय दर्शाती है। ऐसे में फ़ाइनेंस देने का जोखिम कम होता है क्योंकि पूरा पैसा गँवाने से बचने के लिए पोजीशन को जबरन बंद किया जा सकता है।
मार्जिन ट्रेडिंग से संबंधित एक और कान्सैप्ट है मार्जिन कॉल।
एक मार्जिन कॉल किसी ट्रेडर को यह बताता है कि कोई नई पोजीशन खोलने और अपनी वर्तमान पोजीशन बनाए रखने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। ब्रोकर के पास अधिकार होता है कि वह ट्रेडर की संपत्ति का उपयोग करके किसी भी समय पोजीशन को बंद कर सकता है। ऐसे में पोर्टफोलियो की वैल्यू बहुत ज़्यादा नहीं गिरेगी।
मार्जिन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म
मार्जिन ट्रेडिंग के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म चुना जाना चाहिए? इस प्रश्न का सीधा उत्तर देना संभव नहीं है और यह भी बताना कठिन होता है कि सबसे अच्छा मार्जिन ट्रेडिंग अकाउंट कौन सा है।
यह सुझाया जाता है कि ट्रेडर मार्केट के प्रमुख एक्सचेंजों की टेक्नालजी से परिचित हों। इतिहास बताता है कि मार्जिन ट्रेडिंग के सबसे बढ़िया मौके वही एक्सचेंज देते हैं जो कम से कम कुछ सालों से मार्केटों में काम कर रहे हैं, जिनका नेटवर्क तेज है और ट्रैंज़ैक्शन बिना लेट हुए हो जाते हैं।
यह ध्यान देने वाली बात है कि आज कई ट्रेडर ऐसे क्रिप्टोकरंसी मार्केट में जा रहे हैं जिसमें वे मार्जिन ट्रेडिंग से मोटा फ़ायदा कमा सकते हैं। पिछले 2 सालों में, DeFi मार्जिन ट्रेडिंग बहुत फेमस हो रही है। इसका सार यह है कि ट्रेडर एक स्मार्ट कांट्रैक्ट के आधार पर विकेंद्रीकृत कर्ज का उपयोग करके क्रिप्टोकरेंसी उधार लेता है। क्रिप्टो मार्केट में कोई भी भागीदार फाइनेंसियर के रूप में काम कर सकता है।
मार्जिन और वायदा कारोबार के बीच अंतर
मार्जिन और फ्यूचर ट्रेडिंग में क्या अंतर है? मार्जिन ट्रेडिंग में आपके किसी खास ट्रेडिंग पेयर के साथ काम करने का अवसर होता है, जबकि फ्यूचर्स ट्रेडिंग में ऐसे पेयर नहीं मिलते।
अंतर इस तथ्य में भी निहित है कि मार्जिन ट्रेडिंग स्पष्ट रूप से परिभाषित समय सीमा नहीं देती। इसके विपरीत, वायदा कांट्रैक्ट एक समय सीमा से बंधे होते हैं जो उनमें निर्धारित होती है।
एक और अंतर यह भी है कि मार्जिन ट्रेडिंग के दौरान संपत्ति पेयर का रेट स्पॉट मार्केट के रेट के बराबर होता है। वहीं वायदा रेट वर्तमान स्पॉट रेट और डिलीवरी की तारीख के बीच के समय के लिए पोजीशन बनाए रखने से जुड़ी लागत से बना होता है।
भारत में मार्जिन ट्रेडिंग: इसमें आपके लिए क्या है?
भारत में ट्रेडर अपने बिजनेस में मार्जिन ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके बहुत खुश हैं। ये उपलब्ध हैं, सुविधाजनक हैं और सबसे बड़ी बात, काम के हैं। भले ही इस प्रकार के ट्रेडिंग का उपयोग कहीं भी हो, चाहे बेंगलुरु या हैदराबाद में, एक्स्चेंज ग्राहकों को ये खास सुविधाएं मिलती हैं:
- भारत के लोगों की आवश्यक पूंजी के अभाव में बड़ी ट्रेडिंग करने की क्षमता;
- मार्जिन पर पोजीशन ओपन करके कई गुना फ़ायदा कमाने का मौका;
- भारत में सभी ट्रेडर्स से समान व्यवहार, उसकी प्रारंभिक पूंजी या अन्य संकेतकों की परवाह किए बिना;
- मार्जिन ट्रेडिंग आपको अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के प्रति ज़्यादा जिम्मेदार होने के लिए मजबूर करती है। उदाहरण के लिए, यदि आप उत्तरी भारत में रहते हैं और मार्जिन ट्रेडिंग का उपयोग करना चाहते हैं, तो आप जोखिम पूंजी बनाने से पहले परिसंपत्ति का अध्ययन करेंगे और मार्केट का विश्लेषण करेंगे।
निष्कर्ष
संक्षेप में कहें तो मार्जिन ट्रेडिंग को एक ऐसा फ़ायदेमंद टूल कहा जा सकता है जिससे बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो कम समय में अच्छा पैसा बन सकता है।
वहीं मार्जिन ट्रेडिंग में जोखिम भी होता है। यह केवल उन ट्रेडरों के लिए ठीक होती है जिन्होंने कुछ साल मार्केट में काम किया है। यदि ऐसा अनुभव है तो ट्रेडर घाटे से बच सकता है और एक ट्रेडिंग सेशन में ही अच्छा मुनाफा कमा सकता है।